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Showing posts from 2019

* जीवन का आनन्द*

         *जीवन का आनन्द* . एक पुराना ग्रुप कॉलेज छोड़ने के बहुत दिनों बाद मिला। . वे सभी अच्छे केरियर के साथ खूब पैसे कमा रहे थे। . वे अपने सबसे फेवरेट प्रोफेसर के घर जाकर मिले। . प्रोफेसर साहब उनके काम के बारे में पूछने लगे। धीरे-धीरे बात लाइफ में बढ़ती स्ट्रेस और काम के प्रेशर पर आ गयी। . इस मुद्दे पर सभी एक मत थे कि, भले वे अब आर्थिक रूप से बहुत मजबूत हों पर.. . उनकी लाइफ में अब वो मजा नहीं रह गया जो पहले हुआ करता था। . प्रोफेसर साहब बड़े ध्यान से उनकी बातें सुन रहे थे, वे अचानक ही उठे और थोड़ी देर बाद किचन से लौटे और बोले, . डीयर स्टूडेंट्स, मैं आपके लिए गरमा-गरम कॉफ़ी बना कर आया हूँ, लेकिन प्लीज आप सब किचन में जाकर अपने-अपने लिए कप्स लेते आइये। . लड़के तेजी से अंदर गए, वहाँ कई तरह के कप रखे हुए थे, सभी अपने लिए अच्छा से अच्छा कप उठाने में लग गये, . किसी ने क्रिस्टल का शानदार कप उठाया तो किसी ने पोर्सिलेन का कप सेलेक्ट किया, तो किसी ने शीशे का कप उठाया। . सभी के हाथों में कॉफी आ गयी तो प्रोफ़ेसर साहब बोले, अगर आपने ध्यान दिया हो तो, जो कप दिखने में अच्छे और महंगे

मुल्ला नसरुद्दीन

मुल्ला नसरुद्दीन का नाम किसने नहीं सुना है। बगदाद के रेगिस्तान में आठ सौ वर्ष पूर्व घूमने वाले मुल्ला परमज्ञानी थे। परंतु ज्ञान बांटने के उनके तरीके बड़े अनूठे थे। वे लेक्चर नहीं देते थे बल्कि हास्यास्पद हरकत करके समझाने की कोशिश करते थे। उनका मानना था कि हास्यास्पद तरीके से समझाई‌ गई बात हमेशा के लिए मनुष्य के जहन में उतर जाती है। बात भी मुल्ला नसरुद्दीन की सही है। और मनुष्यजाति के इतिहास में वे हैं भी इकलौते‌ परमज्ञानी, जो कि हास्य के साथ ज्ञान का मिश्रण करने में सफल रहे हैं। एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन बगदाद की गलियों से गुजर रहे थे। प्रायः वे गधे पर और वो भी उल्टे बैठकर सवारी किया करते थे। और कहने की जरूरत नहीं है कि उनका यह तरीका ही लोगों को हंसाने के लिए पर्याप्त था। खैर! उस दिन वे बाजार में उतरे और कुछ खजूर खरीदे। फिर बारी आई दुकानदार को मुद्राएं देने की। तो उन्होंने अपने पायजामे की जेब में टटोला, पर मुद्राएं वहां नहीं थी। फिर उन्होंने अपने जूते निकाले और जमीन पर बैठ गए। जूतों को चारों ओर से टटोलने लगे, परंतु मुद्राएं जूतों में भी नहीं थी। अब तक वहां काफी भीड़ एकत

गुरु का आदेश

                                     *गुरु का आदेश*     एक शिष्य था समर्थ गुरु रामदास जी का जो भिक्षा लेने के लिए गांव में गया और घर-घर भिक्षा की मांग करने लगा। *समर्थ गुरु की जय ! भिक्षा देहिं....* *समर्थ गुरु की जय ! भिक्षा देहिं....*  एक घर के भीतर से जोर से दरवाजा खुला ओर एक  बड़ी-बड़ी दाढ़ी वाला तान्त्रिक बाहर निकला और चिल्लाते हुए बोला - मेरे दरवाजे पर आकर किसी दूसरे का गुणगान करता है। कौन है ये समर्थ?? शिष्य ने गर्व से कहा-- *मेरे गुरु समर्थ रामदास जी... जो सर्व समर्थ है।*   तांत्रिक ने सुना तो क्रोध में आकर बोला कि इतना दुःसाहस कि मेरे दरवाजे पर आकर किसी और का गुणगान करे .. तो देखता हूँ कितना सामर्थ्य है तेरे गुरु में ! *मेरा श्राप है कि तू कल का उगता सूरज नही देख पाएगा अर्थात् तेरी मृत्यु हो जाएगी।*   शिष्य ने सुना तो देखता ही रह गया और आस-पास के भी गांव वाले कहने लगे कि इस तांत्रिक का दिया हुआ श्राप कभी भी व्यर्थ नही जाता.. बेचारा युवावस्था में ही अपनी जान गवा बैठा....     शिष्य उदास चेहरा लिए वापस आश्रम की ओर चल दिया और सोचते-सोचते जा रहा था कि आज मेरा अंतिम दिन है,

सच्चा_धर्म

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *सच्चा_धर्म 💕💕💕* *अगर किसी के साथ ने अच्छा वक्त दिखाया है तो बुरे वक्त में उसका साथ छोड़ देना ठीक नहीं।* *एक शिकारी ने शिकार पर तीर चलाया। तीर पर सबसे खतरनाक जहर लगा हुआ था।* *पर निशाना चूक गया। तीर हिरण की जगह एक फले-फूले पेड़ में जा लगा।* *पेड़ में जहर फैला। वह सूखने लगा। उस पर रहने वाले सभी पक्षी एक-एक कर उसे छोड़ गए।* *पेड़ के कोटर में एक धर्मात्मा तोता बहुत बरसों से रहा करता था। तोता पेड़ छोड़ कर नहीं गया, बल्कि अब तो वह ज्यादातर समय पेड़ पर ही रहता।* *दाना-पानी न मिलने से तोता भी सूख कर कांटा हुआ जा रहा था।* *बात देवराज इंद्र तक पहुंची। मरते वृक्ष के लिए अपने प्राण दे रहे तोते को देखने के लिए इंद्र स्वयं वहां आए।* *धर्मात्मा तोते ने उन्हें पहली नजर में ही पहचान लिया।* *इंद्र ने कहा, देखो भाई इस पेड़ पर न पत्ते हैं, न फूल, न फल। अब इसके दोबारा हरे होने की कौन कहे, बचने की भी कोई उम्मीद नहीं है।* *जंगल में कई ऐसे पेड़ हैं, जिनके बड़े-बड़े कोटर पत्तों से ढके हैं। पेड़ फल-फूल से भी लदे हैं।* *वहां से सरोवर भी पास है। तुम इस पेड़ पर क्या कर

परमात्मा की लाठी

                         * परमात्मा की लाठी * बहुत सुंदर भाव अवश्य पढे....📖 एक साधु वर्षा के जल में प्रेम और मस्ती से भरा चला जा रहा था, कि उसने एक मिठाई की दुकान को देखा जहां एक कढ़ाई में गरम दूध उबाला जा रहा था तो मौसम के हिसाब से दूसरी कढ़ाई में गरमा गरम जलेबियां तैयार हो रही थीं।  साधु कुछ क्षणों के लिए वहाँ रुक गया, शायद भूख का एहसास हो रहा था या मौसम का असर था। साधु हलवाई की भट्ठी को बड़े गौर से देखने लगा साधु कुछ खाना चाहता था लेकिन साधु की जेब ही नहीं थी तो पैसे भला कहां से होते, साधु कुछ पल भट्ठी से हाथ सेंकनें के बाद चला ही जाना चाहता था कि नेक दिल हलवाई से रहा न गया और एक प्याला गरम दूध और कुछ जलेबियां साधु को दे दीं। मलंग ने गरम जलेबियां गरम दूध के साथ खाई और फिर हाथों को ऊपर की ओर उठाकर हलवाई के लिए प्रार्थना की, फिर आगे चल दिया।  साधु बाबा का पेट भर चुका था दुनिया के दु:खों से बेपरवाह, वो फिर एक नए जोश से बारिश के गंदले पानी के छींटे उड़ाता चला जा रहा था। वह इस बात से बेखबर था कि एक युवा नव विवाहिता जोड़ा भी वर्षा के जल से बचता बचाता उसके पीछे चला आ रहा है। एक बार इ

मनुष्य के भाग्य में क्या है।

                             *मनुष्य के भाग्य में क्या है ??*          एक बार महर्षि नारद वैकुंठ की यात्रा पर जा रहे थे, नारद जी को रास्ते में एक औरत मिली और बोली। मुनिवर आप प्रायः भगवान नारायण से मिलने जाते है। मेरे घर में कोई औलाद नहीं है आप  प्रभु से पूछना मेरे घर औलाद कब होगी?  नारद जी ने कहा ठीक है, पूछ लूंगा इतना कह कर नारदजी नारायण नारायण कहते हुए यात्रा पर चल पड़े । वैकुंठ पहुंच कर नारायण जी ने नारदजी से जब कुशलता पूछी तो नारदजी बोले जब मैं आ रहा था तो रास्ते में एक औरत जिसके घर कोई औलाद नहीं है। उसने मुझे आपसे पूछने को कहा कि उसके घर पर औलाद कब होगी?  नारायण बोले तुम उस औरत को जाकर बोल देना कि उसकी किस्मत में औलाद का सुख नहीं है।  नारदजी जब वापिस लौट रहे थे तो वह औरत बड़ी बेसब्री से नारद जी का इंतज़ार कर रही थी। औरत ने नारद जी से पूछा कि प्रभु नारायण ने क्या जवाब दिया ? इस पर नारदजी ने कहा प्रभु ने कहा है कि आपके घर कोई औलाद नहीं होगी। यह सुन कर औरत ढाहे मार कर रोने लगी नारद जी चले गये । कुछ समय बीत गया। गाँव में एक योगी आया और उस साधू ने उसी औरत के घर के पा

प्रारब्ध कर्म

🌫🌫🌫🌫   *प्रारब्ध*   🌫🌫🌫🌫     एक व्यक्ति हमेशा ईश्वर के नाम का जाप किया करता था । धीरे धीरे वह काफी बुजुर्ग हो चला था इसीलिए एक कमरे मे ही पड़ा रहता था ।      जब भी उसे शौच; स्नान आदि के लिये जाना होता था; वह अपने बेटो को आवाज लगाता था और बेटे ले जाते थे ।     धीरे धीरे कुछ दिन बाद बेटे कई बार आवाज लगाने के बाद भी कभी कभी आते और देर रात तो नहीं भी आते थे।इस दौरान वे कभी-कभी गंदे बिस्तर पर ही रात बिता दिया करते थे     अब और ज्यादा बुढ़ापा होने के कारण उन्हें कम दिखाई देने लगा था एक दिन रात को निवृत्त होने के लिये जैसे ही उन्होंने आवाज लगायी, तुरन्त एक लड़का आता है और बडे ही कोमल स्पर्श के साथ उनको निवृत्त करवा कर बिस्तर पर लेटा जाता है । अब ये रोज का नियम हो गया ।     एक रात उनको शक हो जाता है कि, पहले तो बेटों को रात में कई बार आवाज लगाने पर भी नही आते थे। लेकिन ये  तो आवाज लगाते ही दूसरे क्षण आ जाता है और बडे कोमल स्पर्श से सब निवृत्त करवा देता है ।     एक रात वह व्यक्ति उसका हाथ पकड लेता है और पूछता है कि सच बता तू कौन है ? मेरे बेटे तो ऐसे नही हैं ।     अभी अंधे

सफल जीवन

👦🏻एक बेटे ने पिता से पूछा- पापा.. ये 'सफल जीवन' क्या होता है ??🤔 पिता, बेटे को पतंग 🔶 उड़ाने ले गए।  बेटा पिता को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था...🤔 थोड़ी देर बाद बेटा बोला- पापा.. ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की और नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें !!  ये और ऊपर चली जाएगी....🙂  पिता ने धागा तोड़ दिया .. पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई... तब पिता ने बेटे को जीवन का दर्शन समझाया... बेटा.. 'जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं.. हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं जैसे :             -घर-⛪          -परिवार-👨‍👨‍👧‍👦        -अनुशासन-🏃🏼       -माता-पिता-👪        -गुरू-और-👵🏻           -समाज- और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं... वास्तव में यही वो धागे होते हैं जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं.. 'इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा जो बिन धागे की पतंग का हुआ...' "अतः जीवन म