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Showing posts from 2023

जीने की राह

                          📚 *जीने की राह* 📚                       *  चोर कभी धनी नहीं होता|* 📜 कबीर परमेश्वर जी अपने विधानानुसार एक नगर के बाहर जंगल में आश्रम बनाकर रहते थे। कुछ दिन आश्रम में रहते थे, सत्संग करते थे। फिर भ्रमण के लिए निकल जाते थे। उनका एक जाट किसान शिष्य था जो कुछ ही महीनों से शिष्य बना था। किसान निर्धन था। उसके पास एक बैल था। उसी से किसी अन्य किसान के साथ मेल-जोल करके खेती करता था। दो दिन अन्य का बैल स्वयं लेकर दोनों बैलों से हल चलाता था। फिर दो दिन दूसरा किसान उसका बैल लेकर अपने बैल के साथ जोड़कर हल जोतता था। किसान अपने कच्चे मकान के आँगन में बैल को बाँधता था। एक रात्रि में चोर ने उस किसान के बैल को चुरा लिया। किसान ने देखा कि बैल चोरी हो गया तो सुबह वह आश्रम में गया। गुरूदेव जी से अपना दुःख सांझा किया। गुरूदेव जी ने कहा कि बेटा! विश्वास रख परमात्मा पर, दान-धर्म-भक्ति करता रह, आपको परमात्मा दो बैल देगा। जो चुराकर ले गया है, वह पाप का भागी बना है। परमेश्वर की कृपा से बारिश अच्छी हुई। किसान भक्त की फसल चौगुनी हुई। भक्त किसान ने दो बैल मोल लिये और उनको अच्छी खुराक खिल

उल्टी यात्रा

           *उल्टी यात्रा* 2022 से 1970 के दशक अर्थात बचपन की तरफ़ जो 50 को पार कर गये हैं या करीब हैं उनके लिए यह खास है🙏🏻🙏🏻🙏🏻 मेरा मानना है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है हमारे बाद की किसी पीढ़ी को "शायद ही " इतने बदलाव देख पाना संभव हो 🤔🤔 हम वो आखिरी पीढ़ी हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखे हैं। बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और "वर्चुअल मीटिंग जैसी" असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को सम्भव होते हुए देखा है। 🙏🏻 हम वो पीढ़ी हैं   जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं हैं। ज़मीन पर बैठकर खाना खाया है। प्लेट में डाल डाल कर चाय पी है। 🙏 हम  वो " लोग " हैं ?*l जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल , खेले हैं । 🙏हम आखरी पीढ़ी  के वो लोग हैं ?  जिन्होंने चांदनी रात में डीबरी, लालटेन या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और दिन के उजाले में चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं। 🙏ह

शाकाहार क्यों?

                          शाकाहार क्यों? जो आहार हम चुनते हैं, वो हमारे स्वास्थ्य के सभी पहलुओं को और हमारे पर्यावरण को प्रभावित करता है। अलग-अलग पृष्ठभूमियों और संस्कृतियों के लोग शाकाहार को अपना रहे हैं, और आज शाकाहार काफ़ी प्रसिद्धि पा चुका है। यहाँ तक कि कई लोग कहते हैं कि अब हमें दूसरों से यह नहीं पूछना चाहिए कि “क्या आप शाकाहारी या वीगन (जो लोग पशु-उत्पादों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करते, जैसे दूध या दूध से बनी चीज़ें) हैं?”, बल्कि यह पूछना चाहिए कि “आप क्यों नहीं हैं?” परीक्षण यह भी दर्शाते हैं कि शाकाहार और लंबी उम्र में संबंध होता है। “लोमा लिंडा विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, माँस खाने वालों की तुलना में शाकाहारी लगभग सात साल अधिक जीते हैं और वीगन लगभग पंद्रह साल अधिक जीते हैं।” ( द कम्पैशनेट डायट ) शाकाहारी या वीगन भोजन, जिसमें सभी पोषक तत्त्व शामिल हों, हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। अच्छे स्वास्थ्य को पाने के लिए केवल इतना ही काफ़ी नहीं है कि हम वो भोजन खाएँ जिसमें पशु-उत्पाद शामिल न हों। आख़िरकार, कुछ बैस्टसैलिंग कुकीज़ (एक प्रकार के बिस्किट) भी वीगन हैं! इसके बजाय अ