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शाकाहार क्यों?

                         शाकाहार क्यों?

जो आहार हम चुनते हैं, वो हमारे स्वास्थ्य के सभी पहलुओं को और हमारे पर्यावरण को प्रभावित करता है। अलग-अलग पृष्ठभूमियों और संस्कृतियों के लोग शाकाहार को अपना रहे हैं, और आज शाकाहार काफ़ी प्रसिद्धि पा चुका है। यहाँ तक कि कई लोग कहते हैं कि अब हमें दूसरों से यह नहीं पूछना चाहिए कि “क्या आप शाकाहारी या वीगन (जो लोग पशु-उत्पादों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करते, जैसे दूध या दूध से बनी चीज़ें) हैं?”, बल्कि यह पूछना चाहिए कि “आप क्यों नहीं हैं?”

परीक्षण यह भी दर्शाते हैं कि शाकाहार और लंबी उम्र में संबंध होता है। “लोमा लिंडा विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, माँस खाने वालों की तुलना में शाकाहारी लगभग सात साल अधिक जीते हैं और वीगन लगभग पंद्रह साल अधिक जीते हैं।” (द कम्पैशनेट डायट)

शाकाहारी या वीगन भोजन, जिसमें सभी पोषक तत्त्व शामिल हों, हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। अच्छे स्वास्थ्य को पाने के लिए केवल इतना ही काफ़ी नहीं है कि हम वो भोजन खाएँ जिसमें पशु-उत्पाद शामिल न हों। आख़िरकार, कुछ बैस्टसैलिंग कुकीज़ (एक प्रकार के बिस्किट) भी वीगन हैं! इसके बजाय अगर मीठा खाने का मन हो, तो हमें फल खाने चाहियें।

हमारे स्वास्थ्य को बेहतर करने के साथ-साथ, शाकाहारी भोजन पर्यावरण की भी सहायता करता है। हमारे ग्रह पर मौजूद 8 अरब लोगों के लिए भोजन उपलब्ध कराने के साथ-साथ, हमें अपनी जल आपूर्ति, हवा की गुणवत्ता, और समस्त जीवन के आपसी संबंध की ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

Vegetarian meal

शाकाहार अपनाने के संबंध में पूछे जाने वाले आम सवाल

क्या यह सच है कि शाकाहार अपनाने से ग्लोबल वॉर्मिंग (हमारे ग्रह का बढ़ता हुआ तापमान) को कम किया जा सकता है?

यदि लोगों की वर्तमान भोजन संबंधी आदतें कायम रहीं, तो 2050 तक पर्यावरणीय तत्वों (जैसे ग्रीनहाउस गैसें, कार्बन डाईऑक्साइड, बढ़ता हुआ तापमान, खाद्य-पदार्थों के उत्पादन से बढ़ने वाला कार्बन फुटप्रिंट, आदि) के वर्तमान स्तरों में 51 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो जाएगी।

ये तथ्य विश्व भर में जनसंख्या की वर्तमान वृद्धि पर आधारित हैं, और इस बात पर आधारित हैं कि जैसे-जैसे लोग अमीर होते जाते हैं, उनमें माँस खाने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है। वर्तमान समय से लेकर 2050 तक, अगर दुनिया भर के लोग माँस खाना कम करके सब्ज़ियाँ, फल, और अन्य शाकाहारी पदार्थ ज़्यादा खाएँ, तो भोजन-संबंधी ग्रीनहाउस गैसों का निकलना दो-तिहाई तक कम हो सकता है।

शाकाहारी बनने के स्वास्थ्य संबंधी लाभ क्या-क्या हैं?

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक प्रकाशन के अनुसार, “पेड़-पौधों पर आधारित भोजन न केवल पोषण में पर्याप्त होता है, बल्कि अनेक दीर्घकालिक रोगों के होने की संभावना को भी कम करता है।” (हार्वर्ड हैल्थ, 4 दिसम्बर 2017) एक बहुत बड़े शोध में, जिसमें ऐसे पाँच शोध शामिल किए गए थे जिनमें 76,000 लोगों ने भाग लिया था, यह देखा गया कि शाकाहारी लोगों के हृदयरोग से मरने की संभावना 25 प्रतिशत कम होती है। इस शोध ने यह भी दर्शाया कि शाकाहारी भोजन करने से टाइप-2 डायबिटीज़ के होने की संभावना 50 प्रतिशत कम हो जाती है।

शाकाहारी भोजन अवश्य ही सामान्य अमेरिकन भोजन से अधिक स्वस्थ होता है। पेड़-पौधों से लिए गए भोजन में सैच्युरेटड फ़ैट (संतृप्त वसा) कम पाया जाता है, तथा अच्छे स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी विटामिन और खनिज अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। कई अध्ययनों ने यह भी दर्शाया है कि शाकाहारी भोजन से कैंसर और एैल्ज़ाइमर्स रोग होने की संभावना कम हो जाती है, तथा हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, और टाइप-2 डायबिटीज़ जैसी बीमारियाँ होने का ख़तरा भी कम हो जाता है।

शाकाहारी बनने से मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार कैसे आता है?

शाकाहारी भोजन हमें शांत बनाता है, तथा हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार लाता है। न्यूट्रिशन जर्नल पत्रिका (2010 और 2012) में छपे दो अध्ययनों के अनुसार, जो लोग रोज़ाना माँस खाते थे, उन्होंने शाकाहारी भोजन अपनाने के 2 सप्ताह के अंदर ही अपना मूड (मनोदशा) बेहतर पाया और तनाव में कमी पाई।

यूट्रिशन जर्नल में छपे एक अन्य अध्ययन में माँसाहारियों और शाकाहारियों के मानसिक स्वास्थ्य और मूड का परीक्षण किया गया। इस अध्ययन में पाया गया कि माँसाहारियों की तुलना में, शाकाहारियों का मूड ज़्यादा अच्छा रहता था और उन्हें उदासी या निराशा कम होती थी।

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