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Showing posts from June, 2020

आनंदित रहने की कला

।। आनंदित रहने की कला ।। एक राजा बहुत दिनों से विचार कर रहा था कि वह राजपाट छोड़कर अध्यात्म (ईश्वर की खोज) में समय लगाए । राजा ने इस बारे में बहुत सोचा और फिर अपने गुरु को अपनी समस्याएँ बताते हुए कहा कि उसे राज्य का कोई योग्य वारिस नहीं मिल पाया है । राजा का बच्चा छोटा है, इसलिए वह राजा बनने के योग्य नहीं है । जब भी उसे कोई पात्र इंसान मिलेगा, जिसमें राज्य सँभालने के सारे गुण हों, तो वह राजपाट छोड़कर शेष जीवन अध्यात्म के लिए समर्पित कर देगा । गुरु ने कहा, "राज्य की बागड़ोर मेरे हाथों में क्यों नहीं दे देते ? क्या तुम्हें मुझसे ज्यादा पात्र, ज्यादा सक्षम कोई इंसान मिल सकता है ?" राजा ने कहा, "मेरे राज्य को आप से अच्छी तरह भला कौन संभल सकता है ? लीजिए, मैं इसी समय राज्य की बागड़ोर आपके हाथों में सौंप देता हूँ ।" गुरु ने पूछा, "अब तुम क्या करोगे ?" राजा बोला, "मैं राज्य के खजाने से थोड़े पैसे ले लूँगा, जिससे मेरा बाकी जीवन चल जाए ।" गुरु ने कहा, "मगर अब खजाना तो मेरा है, मैं तुम्हें एक पैसा भी लेने नहीं दूँगा ।" राजा बोला, "

भक्त

                                  *"हरिया भक्त"*           हरिया नाम का एक आदमी मिठाई की दुकान चलाता था। वह अपने हाथ से ही सारी मिठाइयां दही और पनीर बनाता था। जब भी वह कोई काम करता तो यही बोलता 'हरि इच्छा'। जब भी कोई उससे ग्राहक सौदा लेने आता तो वह सौदा देते और तोलते समय बस यही कहता 'हरि इच्छा'।           वह कभी भी किसी को किसी चीज का दाम नहीं बताता बस जो कोई जितना पैसा देता हरि इच्छा कहते-कहते ले लेता। उसकी बनाई मिठाई, दही और दूध बहुत मशहूर थी। लोगों से कम दाम लेकर और ज्यादा सामान देखकर भी उसका गल्ला पैसों से भरा रहता था। उस पर हरि की खूब कृपा थी।           घर पर उसकी एक छोटी बहन और बूढ़ी माँ थी। घर में भी कोई कमी ना थी। अब हरिया की शादी बड़ी धूमधाम से शारदा नामक एक सुन्दर लड़की से हो गई। शारदा और हरिया की जिंदगी बहुत ही खुशहाल थी। हरिया बहुत ही भोला भाला और सीधा इन्सान था उसने कभी भी किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं की थी। घर में भी वह अपनी माँ बहन और बीवी से बहुत ही प्यार से बात करता था लड़ाई झगड़े का तो उसके घर में कभी नाम भी नहीं लिया गया था।