*सच्ची इबादत* *एक समय की बात है*, हजरत मुउईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के बाहर कुछ अन्धें भिखारी अपने अन्धेंपन की दुहाई देकर भीख माँग रहे थे ! तभी वहाँ से औरंगजेब का लश्कर गुजर रहा था । उसने अन्धें भिखारीयों से कहाँ क्यों रो रहे हो तो इस पर भिखारियों ने कहाँ *हुजूर हम अन्धें है ! अल्लाह ने हम गरीबों की आँखों की रोशनी छीन ली है !* आप हम पर दया करके कुछ दे दें ! *इस पर औरंगजेब ने कहा कि तुम दरगाह पर अपनी आँखों के ठीक होने की दुआ माँगों ! इस पर भिखारियों ने कहा हुजूर हर रोज माँगते है ! मगर मंजूर नहीं होती है ! औरंगजेब ने कहा कि मैं अभी थोड़ी देर बाद वापस आ रहा हुँ और तब तक तुम दरगाह पर अपनी आँखों की रोशनी के लिए दुआ करों । अगर तुम्हारी आँखों की रोशनी वापिस नहीं आई तो मैं तुम सब के सिर कलम कर दुंगा, इतना कह कर औरंगजेब वहाँ से चला गया !* अन्धें भिखारी और जोर जोर से रोने लगे और कहने लगें, हजरत एक तो पहले ही हमारी आ...