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हजरत_जनून_जी

                        #हजरत_जनून_जी#


एक बार जिज्ञासु हजरत जनून के पास आया और आश्रम में सेवा करने लगा I उसको सेवा करते 6 वर्ष बीत गये परनतु हजरत जनुन ने उस व्यक्ति से उसका नाम भी न पुछा I एक दिन हजरत जनुन ने उस व्यक्ति को अपने पास बुलाया और उसका नाम और उसके आने कारण पुछा I उसने अर्ज किया की कि हुजुर मै आपके आश्रम मे पिछले 6 वर्ष से रह रहा हु I मै हुजुर के पास नाम प्राप्ती के लिए हजिर हुआ हु I आप ने कहा कि आप ने कभी कहा नही वह बोला आप ने पुछा नही और मैने कहा नही आप मेरे उपर अब कृपा करे और अपनी शरण में ले, हजरत ने उसको उसको एक लोहे कि संदूकची दी कि इसको ले जाओ और नील नदी के दूसरी पार मेरे मुरशिद रहते है, उनको दे आओ I जब आप वापस आओगे तो आपको नाम कि बख्शीश करेंगे I उन्होंने यह भी कहा कि संदूकची में ताला नहीं लगा परन्तु आप इसको खोलना नहीं और किसी भी हालत इसको उनकी खिदमत में पंहुचा दे I वह ले कर चल दिया I रास्ते में मन ने जोर मारा कि इसको खोल कर देखो फिर ख्याल भी आया कि हजरत ने मना किया था I यह लड़ाई बराबर चलती रही अंत में वह नील नदी के किंदरे पंहुचा I किश्ती का इन्तजार करने लगा फिर मन ने जोर मारा कि यह तो कोई नहीं देख रहा I अंत में उसने उस संदूकची को खोल ही लिया I जेसे ही उसने खोला उस में से एक चुहिया निकल के भार भाग गई I वह देखता ही रह गया I इसके अतिरिक्त संदूकची में कुछ न था I अंत में वह संदूकची ले कर मुरशिद के पास पंहुचा और संदूकची पेश कर दी I उन्होंने संदूकची खोली और उसको देखा और उसको वेसे ही लौटा दी कि अब इसको हजरत जनून को वापस कर दो I वह लेके वापस आ गया कि उन्होंने तो कुछ भी नहीं कहा शायद मालूम ही न था I आप वापस आए और संदूकची हजरत के सामने रख दी हजरत ने उसे खोला उसमे एक पर्चा पड़ा था I वह आदमी हैरान हुआ कि इस में तो कुछ भी न था और मुरशिद ने भी इसमें कुछ नहीं रखा I यह पर्चा कहा से आया हजरत जनुन ने वह पर्चा उस आदमी को दिया कि इसको पढो I उसमें लिखा था कि इसको नाम की बख्शीश न करना, क्योंकि अभी यह मन के कहे चल रहा है I और यह इस योग्य नहीं कि, इसको इतनी ऊँची दौलत दी जाए.


सभी को मेरी तरफ से प्रेम भरी राधा स्वामीजी।भजन सुमिरन जरूरी करें दुनिया के काम तो कभी समाप्त नहीं होंगे और कार्य के साथ परमार्थी बातें जरूर पढ़ें ।सेवा सत्संग और भजन सुमिरन को हमेशा पहले दे।ये जीवन फिर नहीं मिलना इसका फायदा उठाऐ।आप किस्मत वाले है कि आपको जिन्दा शब्द गुरू मिला है जो सदैव हम सभी की सम्भाल करता है। और हम हैं जो गुरू का हुक्म नहीं मानते।गुरू को एक सधारण मनुष्य समझते है।वो कुल मालिक है और हमें अपने असली घर ले जानें हेतु ही इस मानव चोला धारण कर हम से भजन, सुमिरन, सेवा ,सत्संग करवा कर अपने निज घर ले जाने इस धरती पर हम जैसे जीवों को चिताने आऐ है गुरू की कद्र और विश्वास करो.


*Jounery Of Soul*

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