. _*सिमरन की ताकत*_
_एक बार राजा अकबर ने बीरबल से पूछा कि तुम हिंदू लोग दिन में कभी मंदिर जाते हो, कभी पूजा-पाठ करते हो, आखिर भगवान तुम्हें देता क्या है ?_
_बीरबल ने कहा कि महाराज मुझे कुछ दिन का समय दीजिए बीरबल एक बूढी भिखारन के पास जाकर कहा कि मैं तुम्हें पैसे भी दूँगा और रोज खाना भी खिलाऊंगा, पर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा । बुढ़िया ने कहा ठीक है जनाब बीरबल ने कहा कि आज के बाद अगर कोई तुमसे पूछे कि क्या चाहिए तो कहना अकबर, अगर कोई पूछे किसने दिया तो कहना अकबर शहनशाह ने ।_
_वह भिखारिन "अकबर" को बिल्कुल नहीं जानती थी, पर वह रोज-रोज हर बात में "अकबर" का नाम लेने लगी । कोई पूछता क्या चाहिए तो वह कहती "अकबर", कोई पूछता किसने दिया, तो कहती "अकबर" मेरे मालिक ने दिया है । धीरे धीरे यह सारी बातें "अकबर" के कानों तक भी पहुँच गई । वह खुद भी उस भिखारन के पास गया और पूछा यह सब तुझे किसने दिया है ? तो उसने जवाब दिया, मेरे शहनशाह "अकबर" ने मुझे सब कुछ दिया है, फिर पूछा और क्या चाहिए ? तो बड़े अदब से भिखारन ने कहा, "अकबर" का दीदार, मैं उसकी हर रहमत का शुक्राना अदा करना चाहती हूँ, बस और मुझे कुछ नहीं चाहिए_
_"अकबर" उसका प्रेम और श्रद्धा देख कर निहाल हो गया और उसे अपने महल में ले आया, भिखारन तो हक्की बक्की रह गई और "अकबर" के पैरों में लेट गई, धन्य है मेरा शहनशाह_
_अकबर ने उसे बहुत सारा सोना दिया, रहने को घर, सेवा करने वाले नौकर भी दे कर उसे विदा किया । तब बीरबल ने कहा महाराज यह आपके उस सवाल का जवाब है ।_
_जब इस भिखारिन ने सिर्फ केवल कुछ दिन सारा दिन आपका ही नाम लिया तो आपने उसे निहाल कर दिया । इसी तरह जब हम सारा दिन सिर्फ मालिक को ही याद करेंगे तो वह हमें अपनी दया मेहर से निहाल और मालामाल कर देगा जी।_
_*"इस साखी का सार यह है कि हमें सारा दिन ही कुल मालिक का ध्यान करना है, आठों पहर उसके नाम का सिमरन करना है, एक बार वह हमारे ध्यान में बस गया तो हमारा काम ही बन जायेगा जी ,जब एक दुनियावी बादशाह के सिमरन से इतना कुछ मिल सकता है तो उस कुल मालिक जिसने ये सभी धरती और बादशह बनाये हैं उसके सिमरन से कितनी रहमत मिलेगी,हमारी क्या अवस्था होगी...."*_☝🏽😊
_एक बार राजा अकबर ने बीरबल से पूछा कि तुम हिंदू लोग दिन में कभी मंदिर जाते हो, कभी पूजा-पाठ करते हो, आखिर भगवान तुम्हें देता क्या है ?_
_बीरबल ने कहा कि महाराज मुझे कुछ दिन का समय दीजिए बीरबल एक बूढी भिखारन के पास जाकर कहा कि मैं तुम्हें पैसे भी दूँगा और रोज खाना भी खिलाऊंगा, पर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा । बुढ़िया ने कहा ठीक है जनाब बीरबल ने कहा कि आज के बाद अगर कोई तुमसे पूछे कि क्या चाहिए तो कहना अकबर, अगर कोई पूछे किसने दिया तो कहना अकबर शहनशाह ने ।_
_वह भिखारिन "अकबर" को बिल्कुल नहीं जानती थी, पर वह रोज-रोज हर बात में "अकबर" का नाम लेने लगी । कोई पूछता क्या चाहिए तो वह कहती "अकबर", कोई पूछता किसने दिया, तो कहती "अकबर" मेरे मालिक ने दिया है । धीरे धीरे यह सारी बातें "अकबर" के कानों तक भी पहुँच गई । वह खुद भी उस भिखारन के पास गया और पूछा यह सब तुझे किसने दिया है ? तो उसने जवाब दिया, मेरे शहनशाह "अकबर" ने मुझे सब कुछ दिया है, फिर पूछा और क्या चाहिए ? तो बड़े अदब से भिखारन ने कहा, "अकबर" का दीदार, मैं उसकी हर रहमत का शुक्राना अदा करना चाहती हूँ, बस और मुझे कुछ नहीं चाहिए_
_"अकबर" उसका प्रेम और श्रद्धा देख कर निहाल हो गया और उसे अपने महल में ले आया, भिखारन तो हक्की बक्की रह गई और "अकबर" के पैरों में लेट गई, धन्य है मेरा शहनशाह_
_अकबर ने उसे बहुत सारा सोना दिया, रहने को घर, सेवा करने वाले नौकर भी दे कर उसे विदा किया । तब बीरबल ने कहा महाराज यह आपके उस सवाल का जवाब है ।_
_जब इस भिखारिन ने सिर्फ केवल कुछ दिन सारा दिन आपका ही नाम लिया तो आपने उसे निहाल कर दिया । इसी तरह जब हम सारा दिन सिर्फ मालिक को ही याद करेंगे तो वह हमें अपनी दया मेहर से निहाल और मालामाल कर देगा जी।_
_*"इस साखी का सार यह है कि हमें सारा दिन ही कुल मालिक का ध्यान करना है, आठों पहर उसके नाम का सिमरन करना है, एक बार वह हमारे ध्यान में बस गया तो हमारा काम ही बन जायेगा जी ,जब एक दुनियावी बादशाह के सिमरन से इतना कुछ मिल सकता है तो उस कुल मालिक जिसने ये सभी धरती और बादशह बनाये हैं उसके सिमरन से कितनी रहमत मिलेगी,हमारी क्या अवस्था होगी...."*_☝🏽😊
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